तब प्रश्न उठता हे की क्या अमृत धारी सिख का कोई भेष नही ? तो गुरु जी ने ब्राह्मण के जनयु को भेष क्यों कहा ?
सुखमनी साहिब
बुधवार, 6 अक्टूबर 2010
सिख सनातन
गुरु ग्रन्थ साहिब अपने नाम से ही गुरु होने का बोध करवा देते हैं | कुछ मित्र इसे बाबे की बिड ,कुछ इसे गुरु जी की देह मानते हैं |जो इसे गुरु जी की देह [शरीर ] मानते हैं उन का कहना हे की इस शरीर का हिसा [टुकडा ] कोई अलग खंड नही किया जा सकता क्यों की गुरु की यह देह प्रकट हुई है |सुखमनी साहिब ,जपुजी साहिब ,या जापुजी साहिब इसी के अंग हें |जिस तरहा एक देह में से बाजू को अलग कर के देह नही माना जा सकता ,उसी तरहा गुरु ग्रन्थ साहिब के इन अंगों को भी देह नही माना जा सकता |जब की गुरूजी की भी आज्ञा यही हे की गुरु मान्यो ग्रन्थ यह गुरु जी की देह है और यही उन की बाणी हे उनके कहे हुए शब्द हैं |अतः गुरु ग्रन्थ साहिब पाठ की श्रेणी में नही आता यह गुरबानी कहलाता हे |सनातन सिख को किसी भी प्रकार का भेष बना सबसे अलग दिखने की भी आज्ञा गुरु ग्रन्थ साहिब नही देते |
रविवार, 19 सितंबर 2010
शनिवार, 18 सितंबर 2010
बुधवार, 1 सितंबर 2010
कृं कृष्णाय नम:
अंधे की आँख गीता ,बुडे -बचे -जवान का सहारा गीता , हर इन्सान की रक्षक गीता ,
१ सितंबर को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन पर सभी जगह तैयारी चरम पर है। यह दिन भगवान का जन्मदिन मनाने का है। भगवान श्रीकृष्ण आनंद और सुख के देवता हैं। उनकी भक्ति और उपासना सुख, ऐश्वर्य, धन, सम्मान, प्रतिष्ठा और मोक्ष देने वाली मानी गई है। भाद्रपद कृष्णपक्ष की जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नता पाने के लिए खास दिन है।
यहां बताया जा रहा है भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का ऐसा सरल मंत्र जिसका श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ही नहीं बल्कि नियमित जप या उच्चारण करने पर जीवन में आ रही कष्ट और बाधाओं से छुटकारा मिलता है। कृष्ण का यह मूल मंत्र व्यक्ति के हर मनोरथ पूरे करता है और सुख दे देता है।
सभी सुख देने वाले कृष्ण के इस मूलमंत्र का जप श्रीकृष्ण जन्माष्टमी या हर रोज सुबह स्नान कर एक सौ आठ बार करें। इस छोटे मंत्र के प्रभाव से जीवन में बड़े और सुखद बदलाव आएंगे।
१ सितंबर को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन पर सभी जगह तैयारी चरम पर है। यह दिन भगवान का जन्मदिन मनाने का है। भगवान श्रीकृष्ण आनंद और सुख के देवता हैं। उनकी भक्ति और उपासना सुख, ऐश्वर्य, धन, सम्मान, प्रतिष्ठा और मोक्ष देने वाली मानी गई है। भाद्रपद कृष्णपक्ष की जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नता पाने के लिए खास दिन है।
यहां बताया जा रहा है भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का ऐसा सरल मंत्र जिसका श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ही नहीं बल्कि नियमित जप या उच्चारण करने पर जीवन में आ रही कष्ट और बाधाओं से छुटकारा मिलता है। कृष्ण का यह मूल मंत्र व्यक्ति के हर मनोरथ पूरे करता है और सुख दे देता है।
कृं कृष्णाय नम:
सभी सुख देने वाले कृष्ण के इस मूलमंत्र का जप श्रीकृष्ण जन्माष्टमी या हर रोज सुबह स्नान कर एक सौ आठ बार करें। इस छोटे मंत्र के प्रभाव से जीवन में बड़े और सुखद बदलाव आएंगे।
दैनिक भास्कर
सोमवार,19 जुलाई, 2010 को 08:35 तक के समाचार
भागवत: 20- सभी वेदों का सार है भागवत
सूतजी बोले- भगवान के स्वधामगमन के बाद कलयुग के 30 वर्ष से कुछ अधिक बीतने पर भ्राद्रपद शुक्ल नवमी को शुकदेवजी ने कथा आरंभ की थी, परीक्षित के लिए। राजा परीक्षित के सुनने के बाद कलयुग के 200 वर्ष बीत जाने के बाद आषाढ़ शुक्ला नवमी से गोकर्ण ने धुंधुकारी को भागवत सुनाई थी। फिर कलयुग के 30 वर्ष और बीतने पर कार्तिक शुक्ल नवमी से सनकादि ने कथा आरंभ की थी।
सूतजी ने जो कथा शौनकादि को सुनाई वह हम सुन रहे हैं व पढ़ रहे हैं। जब शुकदेवजी परीक्षित को सुना रहे थे तब सूतजी वहां बैठे थे तथा कथा सुन रहे थे।
भागवत के विषय में प्रसिद्ध है कि यह वेद उपनिषदों के मंथन से निकला सार रूप ऐसा नवनीत है जो कि वेद और उपनिषद से भी अधिक उपयोगी है। यह भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का पोषक तत्व है। इसकी कथा से न केवल जीवन का उद्धार होता है अपितु इससे मोक्ष भी प्राप्त होता है। जो कोई भी विधिपूर्वक इस कथा को श्रद्धा से श्रवण करते हैं उन्हें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार फलों की प्राप्ति होती है।
कलयुग में तो श्रीमद्भागवत महापुराण का बड़ा महत्व माना गया है। इसी के साथ ग्रंथकार ने भागवत का महात्म्य का समापन किया है।
क्रमश:...
गुरुवार, 29 जुलाई 2010
ऋषि
हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार, कृतक त्रैलोक्य -- भूः , भुवः और स्वः – ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं।
फाल्गुन-चैत महिने से श्रावण-भाद्र महिने तक उत्तर आकाश में सात तारों का समूह दिखाई पड़ता है। इसमें से चार तारें चौकोर तथा तीन तिरछी लाइन में रहते हैं। इन तारों को काल्पनिक रेखाओं से मिलाने पर एक प्रश्न चिन्ह की तरह दिखाई पड़ते हैं। इन्हीं सात तारों को सप्तर्षि मंडल कहते हैं। इन तारों का नाम प्राचीन काल के सात ऋषियों के नाम पर रखा गया है। ये क्रमशः केतु, पुलह, पुलस्त्य, अत्रि, अंगिरा, वशिष्ट तथा मारीचि है। इसे अंग्रेजी में ग्रेट/ बिग बियर या उर्सा मेजर कहते हैं। यह कुछ पतंग की तरह लगते हैं जो कि आकाश में डोर के साथ उड़ रही हो। यदि आगे के दो तारों को जोड़ने वाली लाईन को सीधे उत्तर दिशा में बढ़ायें तो यह ध्रुव तारे पर पहुंचती है।
- सप्तर्षि मण्डल
फाल्गुन-चैत महिने से श्रावण-भाद्र महिने तक उत्तर आकाश में सात तारों का समूह दिखाई पड़ता है। इसमें से चार तारें चौकोर तथा तीन तिरछी लाइन में रहते हैं। इन तारों को काल्पनिक रेखाओं से मिलाने पर एक प्रश्न चिन्ह की तरह दिखाई पड़ते हैं। इन्हीं सात तारों को सप्तर्षि मंडल कहते हैं। इन तारों का नाम प्राचीन काल के सात ऋषियों के नाम पर रखा गया है। ये क्रमशः केतु, पुलह, पुलस्त्य, अत्रि, अंगिरा, वशिष्ट तथा मारीचि है। इसे अंग्रेजी में ग्रेट/ बिग बियर या उर्सा मेजर कहते हैं। यह कुछ पतंग की तरह लगते हैं जो कि आकाश में डोर के साथ उड़ रही हो। यदि आगे के दो तारों को जोड़ने वाली लाईन को सीधे उत्तर दिशा में बढ़ायें तो यह ध्रुव तारे पर पहुंचती है।
गुरुवार, 8 अप्रैल 2010
BRAHMINS - Brahmin Community - A Wise Clan
BRAHMINS - Brahmin Community - A Wise Clan
जगत गुरु ब्राह्मिनो को प्रणाम कलयुग में शूद्रों को प्रणाम ,नारियों और देवियों को प्रणाम
जगत गुरु ब्राह्मिनो को प्रणाम कलयुग में शूद्रों को प्रणाम ,नारियों और देवियों को प्रणाम
बुधवार, 17 मार्च 2010
कृष्ण की आज्ञा
गिरिजेश राव जी ने प्रश्न किया हे की मेने अडल्ट टेग क्यों दिया हे?// इस का उतर ---मेरी तो इछा नही थी परन्तु bhgwan कृष्ण की आज्ञा के विपरीत जाने की हिमत गीता नही कर सकी भगवान ने कहा हे ,तुझे यह गीता रूप रहस्य -म्ये उपदेश किसी भी काल में तप - रहित भगती - रहित और न सुनने की इछा वालों खास कर unse जो मुझ में दोष दृष्टि रख ते हें ऐसे मनुषों से तो कभी नही कहना
सोमवार, 22 फ़रवरी 2010
मुर्खता पूर्ण ब्यान
ND
लताजी ने यूँ तो भक्ति संगीत के कई गीत गाए हैं और श्रीराम स्तुति को उनसे बेहतर आज तक कोई भी बेहतर ढंग से पेश नहीं कर पाया है। हनुमान चालीसा की उनकी यह नई पेशकश निश्चित रूप से 'बजरंग भक्तों' के लिए एक नई सौगात साबित होगी।
लता ने कहा कि इस समय हमारा देश बेहद कठिन समय से गुजर रहा है और हनुमानजी संकटमोचन के नाम से जाने जाते हैं। लताजी ने कहा कि मैंने अपने 60 साल के करियर में हनुमानजी की प्रशंसा में कोई गीत नहीं गाया, लेकिन अब मैं हनुमान चालीसा को आवाज दे रही हूँ। उनका आशीर्वाद लेने का यह सही समय है।
लता मंगेशकर को इस वक्त मुंबईClick here to see more news from this city स्थित अपने घर के नीचे धूमधाम से गणेशोत्सव मनाते देखा जा सकता है। यह भी खबर है कि उन्होंने अपनी आवाज में हनुमान चालीसा के पाठ की जो रिकॉर्डिंग की थी, वह कैसेट की शक्ल ले चुकी है।
आम धारणा है कि हनुमानजी ब्रह्मचारी रहे, लिहाजा महिलाएँ न तो हनुमान चालीसा का पाठ करती हैं और न ही उनके मंदिरों में शीश झुकाने जाती हैं, लेकिन बदलते वक्त ने इस धारणा को भी तोड़ दिया। आज हनुमान मंदिरों में बच्चों, पुरुषों के साथ-साथ युवतियाँ और महिलाएँ भी अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए बड़ी संख्या में पहुँचती हैं।
विश्व प्रसिद्ध संत मुरारी बापू भी अपनी रामकथा के प्रवचनों में साफ तौर पर कहते हैं कि हनुमाजी की आराधना करना महिलाओं के लिए वर्जित नहीं है।
मुर्खता पूर्ण ब्यान
बाल ब्रह्मचारी हनुमान के द्वार पर नारी का क्या काम
बापू इतने स्वार्थी ना बनो
दिल नही मानता तो
तुम भी नारी संग नाच लो
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