शनिवार, 23 मई 2009
गीता की भी सुनलो
गीता भारत में ऐसी पवित्र धर्म पुस्तक हे जिस को कुछ विद्वानों ने अज्ञानता और निजी स्वार्थ को सामने रख कर काले अक्छरों में लिख दिया हे ,दुसरे विद्वानों ने इसे पड़ कर अन पड़ा कर दिया वास्तव में गीता ज्ञान का भंडार हे ,जितनी बार पड़ो नया ही भाव उत्पन होने लगता हे मेने जेसा इस के भावों को समझा या जाना यहाँ वेसा ही लिख दिया हे ,आप भी इस गीता शास्त्र का आनंद उठावें .................................................
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें