गुरुवार, 4 जून 2009

अर्जुन का कहा

अर्जुन द्वारा कही बातों को भी समझ ने की जरूरत हे अर्जुन का प्रश्न था कि अपने कुटुंब को मार कर केसे सुखी रह सकते हे ?और ख़ुद ही विचार भी करते हें लोभ -भ्रष्टचित हुए ये लोग ये लोग कुल के नाश उत्पन दोष और मित्र से विरोध करने में पाप को नही देखते (यही अभी हो रहा हे )कुल के नाश से उत्पन दोष को जानने वाले हम लोगों को इस पाप से हट ने के लिए विचार क्यों नही कर न चाहिए ? आइये इसी पर पहले विचार किवा जाए ज्योतिष को वेदों का नेत्र कहा जाता हे ,वेदों के नेत्र का प्रयोग करने से पितृ दोष नजर में आता हे ,पत्र दोष में किसी ऐसे सम्बन्धी मित्र बन्धु-बांधव कि मृतु बाद प्राप्त जयेदाद जो उस के बाद हमे प्राप्त हो जाती हे भोगने से जो दोष आता हे ,इस दोष का उपचार जीव कि गति होने से ही होता हे जिस के लिए श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध और तर्पण कि प्रचलित विद्धि हे दोह्स उत्पन होने पर परिवार कि वृधी रुक जाती हे (आज हम -दो ,हमारे दो पारिवारिक वृधी ख़ुद ही रुक रही हे ) भयंकर दोष तो भारत में आ ही चुका हे आगे अर्जुन ख़ुद ही इस का जवाब देते हे कुल के नाश से सनातन कुल-धर्म नष्ट हो जाते हे धर्म के नाश से सम्पूर्ण कुल में पाप भी बहुत बड जाते हें पाप बड़ने से कुल कि जनानियां दूषित हो जाती हें इन के खराब होने से परिवारों में (दोगले बचे पैदा होते हें )वर्ण -संकरता उत्पन हो ती हे वर्ण संकर कुल घातियों(इन गुरुओं-जो पति परमेश्वर के अधिकारों से पति को वंचित कर ख़ुद उस के अधिकारों को भोगता हे )और ऐसे कुल को नर्क में ले जाने के लिए काफी होता हे श्राद्ध-पिंड दान आदि से वंचित पितृ लोग अधोगति को प्राप्त हो जाते हे फिर वही पितृ तंग करते हें हम ढोंगी बाबाओं के चक्र में पड़अपना आप नाश कर लेते हें जिस-जिस का कुल धर्म नष्ट हो गया हे ऐसे मनुष्यों का अनिश्चित काळ तक नरकों में वास होता हे ऐसा हम सुना करते हें इस तरह के कटू सत्य को जान अर्जुन युद्घ के मैदान को हार कर त्यागने का मन बनाते हे वह भूल जाते हे कि जो भगवान के रथ पर रहते हें भगवान उन्ही कि मदद करते हें दुसरे अध्याये से भगवान अपना मुह खोल अर्जुन कि इस जिज्ञासा को शांत ही नही करते बलिक दर्शन भी देते हें (गीता)

5 टिप्‍पणियां:

  1. इसे आप ने adult tag क्यों दे रखा है?
    समझ नहीं आया।

    word verification रखा हो तो हटा दें। अति कष्टकारी होता है। लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।

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  2. आज आपका ब्लॉग देखा.... बहुत अच्छा लगा. मेरी कामना है कि आपके शब्दों को नये अर्थ, नयी ऊंचाइयां एयर नयी ऊर्जा मिले जिससे वे जन-सरोकारों की सशक्त अभिव्यक्ति का सार्थक माध्यम बन सकें.
    कभी समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर पधारें-
    http://www.hindi-nikash.blogspot.com

    सादर-
    आनंदकृष्ण, जबलपुर

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  3. आज आपका ब्लॉग देखा.... बहुत अच्छा लगा. मेरी कामना है कि आपके शब्दों को नये अर्थ, नयी ऊंचाइयां एयर नयी ऊर्जा मिले जिससे वे जन-सरोकारों की सशक्त अभिव्यक्ति का सार्थक माध्यम बन सकें.
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    सादर-
    आनंदकृष्ण, जबलपुर

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  4. namaskar mitr,

    aapka blog padha , gita par aapka vishleshan bahut prabhavit kar gaya .. aapko badhai

    dhanywad.

    meri nayi kavita " tera chale jaana " aapke pyaar aur aashirwad ki raah dekh rahi hai .. aapse nivedan hai ki padhkar mera hausala badhayen..

    http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/05/blog-post_18.html

    aapka

    Vijay

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