शनिवार, 18 जुलाई 2009

क्या झूठ क्या सच?

दुनिया जल्द ही समाप्ति को प्राप्त होने वाली हे ऐसी खबरें टी.वी .पर विज्ञानिकों और माया कलेंडर द्वारा समय समय पर कही जाती हें आइये देखें हमारे देवी पुराण में क्या लिखा हे ?कलयुग में सरस्वती;गंगा;विश्वपावनी (तुलसी)पॉँच हजार वर्षों तक रह कर बैकुंठ को चलीं जाएँ गी तीर्थों में काशी वृन्द्रावन के अतिरिक्त सभी तीर्थ श्री हरी की आज्ञा से उन देवियों सहित बैकुंठ चले जायें गे शालिग्राम;शिव ;शक्ति ;और भगवान प्रशोतम कली के दस हजार वर्ष पुरे होने पर भारत को छोड़ कर अपने स्थान को पधारें गे इसके साथ ही साधू ;पुराण ;शंख ;श्राध;तर्पण और वेदोक्त कर्म भी भारत से उठ जायें गे देव पूजा ;देव नाम; धर्म ग्राम देवता व्रत -तप-और उपवास भारत से लुप्त हो जायें गे ठीक ऐसा ही हो रहा हे गंगा का बहावथम गया काशी बिंद्राबन बन के अतिरिक्त प्रायः अमरनाथ -वेष्णोदेवी -गुरु द्वारे-चर्च -मस्जिद -मका आदि स्थानों पर ऐसी -ऐसीं अप्रिय घटनाएँ घटतीं हें जो इसी और इशारा करतीं हें मांस मदिरा के सेवन से भी लोग नही बच सकते क्यों की मिलावट का जमाना जो हे ;झूठ-कपट से किसी को डर नही ;परस्पर मेत्री का अभाव जननी -मर्द कही भेद बचा हे जाती भेद भी समाप्त हो चुका हे ;दुराचार प्रत्येक परिवार में हो गा पत्नियाँ -पतिको प्रताडित करें गी जितना नोकर नीच हो गा -मालिक उससे भी ज्यादा कमीना होगा जिस की लाठी उसी की भेंस वाली कहावत होगी पुरूष अपने ही परिवार वालों से बेगानों जेसा व्यवहार करने लगे गा चरों वर्ण अपने आचार-विचार छोड़ दें गे संध्या-वन्दना -संस्कार लुप्त हो जायें गे राजा लोगों का तेज अस्तित्व ही समाप्त हो जाए गा लाखों में एक भी पुण्यवान नही होगा ग्राम नगर जंगल के समान प्रतीत हों गे (जो अब २०२०से पूर्व ही होने को हे)भलीभांति जोते गये खेत में खेती नही होगी नीच वर्ण वाले धनी होने से श्रेष्ट मने जायें गे कलयुग में भगवान का नाम बेचा जाए गा (गुरु लोग यही कर रहे हें )मनुष्य अपनी कीर्ति बडाने को दान कर के वापिस लेलेगें -आदमी ओरत आपस में अवेध सम्बन्ध बनावेंगे अधिक क्या कहें चरों और मलेछ ही मलेछ हो जायें गे तब विष्णु यश नामक ब्रह्मिण के घर प्रभु अवतार लें गे और तिन रातों में ही धरती को मलेछ शून्य करदें गे इस के बाद फर अराजकता फेले गी लुट पाट होगी तब ६ दिन की मुसला धार वर्षा से ही धरती प्राणी -वृक्ष-ग्रह से शून्य हो जावे गी .अभी समय हे मनुष्य को भगवान की शरण के अतिरिक्त और कुछ भी धारण न करते हुए ख़ुद को बचाने का प्रयास करना चाहिए

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