मंगलवार, 28 जुलाई 2009

झूठ की सच से दोस्ती

झूठ और सच दोनों लगे खाने ,एक ही थाली में । वक्त का चक्का लडखडा गया इन दोनों की प्याली में । समय -असमय भी इकठे हो लिए । सत्य-असत्य की राह में । । ज्ञान यह सब देख घबरा गया । बदल सा गया ख़ुद अपने आपमें । कितने दोष लगे आने नजर अपने ही यारों में । अपने आप में झांक कर तो देखो माजरा ख़ुद समझ में आजे गा क्यों दिल बंट गया घरवाली और बाहरवाली में । स्वार्थ पने को त्यागने में आप भी अपना -अपना हिसा डालदो,मानव समाज के हित में । तुम पर दुनिया नाज करे गी अगर भरते हो तुम यह शक्ति अपने माली में ............................................................................................................................. ॥ । ............................अज्ञानता ....................................................................................... ॥ --------------------------------------------------------------------------------------------- अज्ञानता के सागर में लगा गोता धर्म गुरु जेहाद हे बोलता ... ॥ । .जिसे वो जेहाद बताता हे उस में दहशत गर्दी नंगा नाच -नाचती हे ॥ ॥ सारा जमाना यह जान चुका हे पुरी तरह पहिचान चुका हे ॥ ॥ । फिर क्यों ख़ुद को धोखा दे रहे हो हजारों सबूतों को क्यों ठुकरा रहे हो ॥ ॥ क्या तुम कहीं शेतान बन दुनिया को ख़ुद में खुदा तो नही बता रहे हो ?॥ ॥ क्या तुम कहीं भूल तो नही गये की इंसानों का एक ही खुदा होता हे ॥ ॥ जिस का महबूब तुम्हारे जेहाद से मरने वाला भी होता हे

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