अनुष्ठान के लिए 18 एकड़ भूमि पर यज्ञशाला व प्रवचन पांडाल तथा 21 सौ फुट वर्गाकार व 60 फुट चौड़ा परिक्रमा मार्ग बनाया गया है।
यह अनुष्ठान बनारस के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त यज्ञाचार्य पं.लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में होगा। इसके बाद 1 से 11 जनवरी तक हवनात्मक यज्ञ के तहत 150 यजमान 25 कुण्डों पर विद्वान ब्राह्मणों के निर्देशन में कोटिरूद्र महायज्ञ संपन्न करेंगे। इसकी शुरुआत 1 जनवरी को ऐतिहासिक शोभायात्रा के साथ होगी। 1 जनवरी से वृंदावन के प्रख्यात रासाचार्य पद्मश्री स्वामी रामस्वरूपजी शर्मा के निर्देशन में रासलीला और 2 जनवरी से राजकोट की प्रख्यात भागवत मर्मज्ञ मीराबेन के सान्निध्य में भागवत कथा होगी। जिसका आयोजन दोपहर 2 बजे से होगा।
बापरे बाप जरा विचार तो करलें क्या यह महा यग्य अश्व मेघ यग्य से भी बड़ा हें |जब अश्वमेघ यग्य सम्पूर्ण नही हो सका तो इस की क्या गारंटी है?
क्या विद्वानों को और कोई साधन सभी के हित के लिए नही सोचना चाहिए था?
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