शनिवार, 5 दिसंबर 2009
जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश के पालन में घमापुर-शीतलामाई मार्ग के अतिक्रमणों पर युद्धस्तरीय कार्रवाई जारी है। मंदिर के ट्रस्टी डॉ. रमाकांत रावत का कहना है कि यदि ठीक से नपाई की जाती तो ये स्थिति कतई न बनती। ऐसा इसलिए क्योंकि मंदिर बकायदे राजपत्र में प्रकाशित है। सरकारी रिकॉर्ड में इसका अस्तित्व 1944 से मिलता है लेकिन दरअसल, ये मंदिर अति प्राचीन है। यह पुरातात्विक महत्व का एशिया का संभवतः एकमात्र विशालतम शीतलामाई मंदिर है। इसके नाम एक वार्ड जाना जाता है।
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