बुधवार, 19 अगस्त 2009

अपने धर्म को देखो

यदि मनुष्य अपने ब्राह्मण -क्षत्रिय -वेश्य -और शुद्र के धर्म ,जिस धर्म में भगवान ने मनुष्य का जन्म रूपी पोधा लगा दिया हे के कर्मों कोही यदि कर ले तो इस से बडा और कोई धर्म युक्त युद्घ हो ही नही सकता और न ही कोई और दूसरा कल्याण को देने वाला कर्तव्य ही उस के लिए शेष रह जाता हे हे -पार्थ अपने आप परमात्मा द्वारा प्राप्त इस धर्म चाहे वो हिंदू का हो मुलिम सिख या इसाई का हो चाहे ब्राह्मण हो या क्षत्रिय हो -वेश्य हो या शुद्र ही क्यो न हो इस प्रकार जो प्रभु इछा से प्राप्त धर्म ही स्वर्ग दिलाने वाला होता हे ,इस प्रकार के युद्घ को भाग्यवानलोग ही प्राप्त करते हें
जो लोग धर्म युक्त युद्घ को नही करते वह उस इश्वर के घर स्वधर्म और कीर्ति दोनों कोही खो कर पाप को ही प्राप्त हुआ करता हे तथा लोगों द्वारा बहुत काल तक रहने वाली अपकीर्ति आ भी कथन करते हें और माननीय पुरुषों के लिए अपकीर्ति मरण से भी बड़कर होती हे
(यहाँ आप सभी के सहयोग की हम सभी को आवश्यकता हे अतः आप की प्रति-क्रिया की जरूरत हे -------क्या ऐसे महा -परुष आप या आप के आसपास नही हें ? जो अपने उस धर्म को त्याग कर किसी दुसरे के स्वाभाविक -कर्म को अपना चुके हे ?उन को अपने धर्म के लोगों से अपमानित नही होना पड़ता?मेरे एक मित्र का जन्म शुद्र वर्ण में हुआ हे उसके कई रिश्ते दार ऊची-ऊँची प्रसासनिक सेवाओं में अधिकारी के रूप में कार्यरत हें परन्तु अब वह लोग अपने कुल के लोगों से बात करना या उन के दुःख सुख में में साथ देना अपनी तोहीन क्यों समझते हें ? क्या उनको इसी प्रकार की शिक्षा कभी दी गई थी? या उच्च शिक्षा में उन्हों ने ऐसी शिक्षा प्राप्त की थी? जवाब होगा नही फ़िर क्या यह साबित नही होता की हमारी शिक्षा प्रणाली अन्पड-मूर्खों को उच्च पदों पर आसीन कर रही हे?) ऐसे लोगों के रिश्ते दार इनको अपने कुल धर्म -जाती धर्म के धर्म युद्घ से हटा हुआ क्युओं नही मानेगे ? वेरी लोग भी क्या ऐसों के सामर्थ की निंदा करते हुए न करने योग्य बातें नही करते ? फ़िर इससे अधिक दुःख और क्या हो सकता हे ? इसी बात को भगवान अर्जुन को भी कह रहे हें या तो तू इस युद्घ में मारा जा कर स्वर्ग को प्राप्त हो गा या संग्राम जित कर पृथ्वी का राज्य भोगे गा जये-पराजय ,लाभ -हानि ,सुख-दुःख को समान जान कर ,उसके बाद अपने कर्म रूपी युद्घ के लिए तयार होजा इस प्रकार के युद्घ को करने से तुझे पाप भी नही लगे गा

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